सोमवार, 30 अप्रैल 2012

देश अपना धर्म है,ईमान है

[मुक्तक ]
देश का शुभनाम हिंदुस्तान है ,
राष्ट्र का हर व्यक्ति इसकी शान है ;
मातु -पितु -गुरु - बन्धु सब है देश अपना 
देश अपना धर्म है , ईमान है ||

[तरही नशिस्त, बाराबंकी ]

Halaal / Haraam

आजकल एक चर्चा फिर बहस में है | अन्ना का कहना है कि किरण बेदी ने अपनी संस्था के लिए पैसे जुटाए इसलिए वह भ्रष्टाचारी नहीं कही जा सकतीं | सही है , तमाम माँ - बाप भी अपनी लड़कियों की शादी और लड़कों की पढ़ाई के लिए घूस -पात लेते हैं | सारा का सारा अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए थोड़े  ही करते हैं | उन्हें भी भ्रष्टाचारी कहना उचित न होगा | सबके पास अपने भ्रष्टाचार के लिए हाज़िर जवाब है | एक चोर डकैत के पास भी | सबके पास अपने अपने कारण हैं | एक शेर सुनिए == " मैं अपने बच्चों की ख्वाहिशों का क़त्ल होते न देख पाया / मैं जानता था की ज़िन्दगी में हलाल क्या है , हराम क्या है | "  

Dalit Rajya

I have no doubts in my mind which I made up lately. Sanshayatma Vinashyatih. Not reservation , the whole power to rule should now be handed over to Dalits, moolnivasi ,you can say . Now it is their turn Hindus and Muslims have enjoyed their turn .Now ,if they are pious and truthful , should vote only in favour of Dalit candidates [or women of all castes, who are candid dalit ]. It is optional, no constitution ammendment needed. But this Idea is the only Saviour of India. Don't  mingle it with the Quality of  Rule and administration . It will not be worse than we witessed in the past .

मंगलवार, 24 अप्रैल 2012

Bhagwan ko maano

(उवाच)
भगवान को मानो, लेकिन इस बात को अपने मन में रखो । ऊपर से यही प्रकट करो कि तुम किसी अलौकिक शक्ति पर विश्वास नहीं करते । तुम तो अत्यंत वैज्ञानिक बुद्धि वाले हो ।
(पाखंड योग) 21-4-2012

Ek to gareebi

(कविता)
एक तो गरीबी
ऊपर से
बेसवा होने का आरोप
कहाँ तक झेलूँ मैं ।
(20-4-12)

शनिवार, 21 अप्रैल 2012

पाखण्ड योग संस्थान

* मित्रगण मुझसे सहानुभुति रखते हुए कहते हैं - तुम्हारा कुछ भी तो सफल नहीं हुआ, न कविता, न पत्रकारिता, न नास्तिकता, न धर्मनिरपेक्षता,न दलित राज्य,न वैज्ञानिक चेतना, न राष्ट्रहित में स्वार्थविमुखता ,  कुछ भी तो नहीं ।
  तो अब मैं एक काम करने जा रहा हूँ। पाखण्ड योग संस्थान ( HYPOCRICY  YOG  INSTITUTE ) खोलकर मानवता की सेवा करूँगा । तब तो सफल हूँगा, या तब भी नहीं।                                                                        

गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

विधायक सीट (कहानी)



आप की तारीफ़?
मैं यहाँ का विधायक हूँ.
तो इधर से ही लखनऊ जाते होंगे?
हाँ.
मैंने आप को कभी बस की विधायक  सीट पर  बैठे नहीं देखा इसी से भ्रम हुआ .

दोस्ती होती है कि नहीं !



भारत को हिन्दू राज्य बना दीजिये फिर देखिये भारत पाक रिश्तों में सुधर होता है की नहीं! अभी नहीं हो पा रहा है तो उसका कारण है कि नमक नमक से नहीं खाया जाता!

है तो कैसे है



  • कहने को हमारे पास विधायिका, कार्यपालिका, न्याय पालिका है पर इनका होना भी क्या होना है जब ये कुछ करते नहीं, अपना होना , अपनी सक्रियता सार्थकता सिद्ध नहीं करते , हम कैसे मान ले कि ये हैं..

दशा



  • औरतों की दशा बहुत खराब है ऐसा औरतें कहतीं हैं , लेकिन सच ये भी है कि जिनकी अच्छी है , उनकी बहुत अच्छी हैं

घूस



कोई ५ १० २५ देगा तो मैं ज़रूर मना कर दूंगा लेकिन यदि कोई १००- ५०-५०० देगा तो भला मैं कैसे इंकार कर सकता हूँ/

सोमवार, 16 अप्रैल 2012

राष्ट्रीय सहमति

कभी बनी है
राष्ट्रीय सहमति
जो अब  बने !
हम ये नहीं कहते कि राष्ट्रीय मुद्दों या अमुक विषय पर राजनीति न कीजिये. बिल्कुल कीजिये . पर क्या राजनीति वही कहती है जो आप कह रहें हैं? वहां वस्तुतः  तो आप राजनीति से नीचे कहीं जा रहें हैं .

स्वायत्तता की मांग

भारत के राज्य अपने लिए अत्यधिक स्वायत्तता की  मांग कर रहे हैं. घबराएँ नहीं आतंकवादी पूरा देश ही ले जायेंगे फिर तो उन्हें सत्ता  से भी  पूरी आज़ादी मिल जाएगी.

सशक्त राष्ट्र

हमने स्वायत्त राज्य के लिए नहीं बल्कि सशक्त राष्ट्र  के लिए आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी .

ओ मेरे (नीत्शे के ) मरे हुए ईश्वर !

ओ मेरे (नीत्शे के )  मरे हुए ईश्वर !  अब  तू  जिंदा हो जा और जाग. लेकिन इस बार तू खुद कुछ मत करना.  अब तू जन जन के मन ह्रदय में समा जा  जिससे वे जाग के कल्याण में अपने स्वयं के विवेक से लग जाएँ. 

सोमवार, 9 अप्रैल 2012

लोकपाल

* लोकपाल लाओ , नहीं तो जाओ ।
# तब , जब जाना ही है , तो लोकपाल क्यों लाओ ?

गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

प्रेम का भविष्य

ईश्वर , प्रेम और भविष्य का अस्तित्त्व नहीं है । आत्मा का भी तो अस्तित्त्व नहीं है । यदि अपनी कोई आत्मा बनायीं है , तब तो वह होगी । वरना आत्मा जैसी कोई चीज़ नहीं होती । इसी प्रकार देश ! क्या देश भी कहीं होता है ? या होना चाहिए ? बहुत से लोग मानते हैं कि धरती तो है , पर देश -प्रदेश ,अरांत - प्रान्त , गाँव - शहर सब मनुष्य के बनाये हुए हैं और इस हिसाब से तो घृणा भी कहीं नहीं होनी चाहिए । जो वह है तो उसे भी मनुष्यकृत माना जाना चाहिए ।

सेना और सरकार

* इतिहास में क्या किसी राज्य का राजा ऐसा हुआ है जिसकी सेना उसके अधीन न रही हो ?

* चलो जनता को यह तो पता चल गया कि उसके देश की सेना चल - फिर सकती है । विश्वास हो गया की वह मार्च भी कर सकती है । जनरल वी के सिंह ने बिला वजह ही पी एम को चिट्ठी लिख कर देश को सकते में डाल दिया ।

व्यंग्य

* हमारी सेना कितनी शांतिप्रिय है यह भी तो देखिये । वह किसी दुश्म्सं देश से लड़ने में विश्वास नहीं रखती , वह अपनी सर्कार से ही लड़ - भिड़ कर अपनी ऊर्जा शांत कर लेती है ।

बुधवार, 4 अप्रैल 2012

घड़ी

[कविता ]
* मेरी घड़ी कुछ दिनों से
ग़ायब थी
वह मुझे आज मिल गयी ,
घड़ी गायब हो गयी थी
लेकिन वह चल रही थी
उसने मुझे आज भी
सही समय बताया ।

मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

वह औरत थी

[ कविता ]
वह औरत थी
ईंट के भट्ठे पर काम करती ,
वह थोड़ा सुस्ताने के लिए बैठी
और अपने पैर खुजलाने लगी ।
मैंने कहा - क्या भूतनी जैसा वेश बना रखा है
इतने गंदे नाखून ?
पैरों की सफाई का भी
ख्याल रखा करो ,
औरत की सुन्दरता
सिर्फ चेहरे से नहीं , उसके
पैरों से भी आँकी जाती है ,
और सुंदर लहराते बालों से भी
यह नहीं कि बस कड़वा तेल चुपड़ लिया ।
यह पकड़ो फेमिना , स्टारडस्ट
देखो और पढ़ो ।

उसने मेरे हाथ से पत्रिकाएँ ले लीं
फटे आँखों से पन्ने पलटती रही
फिर खिलखिला कर जोर से हँस दी
और मेरी किताबें
मेरी ओर फेंक दी ।