शुक्रवार, 23 मार्च 2012

आत्म विश्वास

*ईश्वर पर विश्वास करो तो करो , लेकिन उस पर अंध विश्वास मत करो ।
[आह्वान - आत्म विश्वास ]

सोमवार, 19 मार्च 2012

बूढ़ों मी कामना

* ये पंक्तियाँ मैं अब तक अर्जित अपनी सारी ख्याति को दाँव पर रखकर लिख रहा हूँ । इस ज़िम्मेदारी की भावना के साथ कि भावी पीढ़ी यह न कहने पाए कि कि मेरे जैसे महान विचारक के होते हुए भी एक बड़ा विचार दुनिया के सामने आने से रह गया । आज़ाद से आज़ाद समाजों में फ्री सेक्स की बात हो गयी । समलैंगिकता स्वीकार हो गयी । सेम सेक्स शादियाँ होने लगीं । स्त्री मुक्ति सभाओं में स्त्री योनिकता की भी खूब चर्चा हो गयी लेकिन यह सब युवाओं के सम्बन्ध में , युवाओं के द्वारा , युवाओं के लिए , युवाओं को ध्यान में रखकर होता है । लेकिन सबमे छूट जाती है वृद्धों की योनिकता की बात । मानो वे मरने से पहले ही सेक्सुअली मृत हो गए हों । इसकी किसी ने चिंता नहीं की , चिंता की ज़रुरत नहीं समझी । किसी धर्म , धर्म ग्रन्थ ने इस पर कोई व्याख्या नहीं दी । सबने उन्हें वानप्रस्थ या सन्यास पकड़ा दिया और देवता समान पूज्य बना कर किनारे रख दिया । आधुनिक समाज ने अधिक से अधिक उनके अकेलेपन या भरण - पोषण की समस्या दूर करने तक का ही उपाय किया । कुछ ख़बरें भले आ गयीं कि किसी अस्सी वर्ष के बूढ़े ने विवाह रचाई । पर विवाह तो स्थिर , स्थाई सामाजिक संस्था या अनुबंध होता है , जिसे वहां कर पाना हर बूढ़े के वश का नहीं होता । पर सेक्स तो हर बूढ़े - बूढ़ी को परेशान करता है । पर बूढ़े के लिए किसी फ्री सेक्स की ज़रुरत की बात या उसकी संतुष्टि के सम्बन्ध में किसी उपाय की अवधारणा किसी दार्शनिक ने नहीं की । आधुनिक से आधुनिक तक ने भी नहीं । क्या वे सोचते हैं कि हर क्रांतिकारी विचार केवल भारत के जिम्मे है ?

रविवार, 18 मार्च 2012

शपथ ग्रहण

कोई आश्चर्य नहीं कि जनाब आज़म साहेब ने जान बूझ कर अधूरा शपथ पढ़ा हो !

सोमवार, 5 मार्च 2012

एकपत्नीव्रत

* मैं एकपत्नीव्रत का समर्थक हूँ
मैं सदा एकपत्नीव्रत रहा ।
बीस वर्ष की उम्र में मेरा विवाह हुआ
२० से ३० तक मैं एकपत्नीव्रत रहा ,
फिर ३० से ४० तक मैं एकपत्नीव्रत रहा ,
और ४० से ५० तक एकपत्नीव्रत रहा ,
तथा ५० से ६० तक एकपत्नीव्रत।
अब ६० के बाद भी मैं
एकपत्नीव्रत का निर्वाह कर रहा हूँ ।
मैं सदा एकपत्नीव्रत रहा ।
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