मंगलवार, 27 सितंबर 2011

तीन कविताएँ

* [शेर ]
मैं खुश होता हूँ जब मै अपनी गलती मान लेता हूँ ,
इसी से मैं ख़ुशी से अपनी गलती मान लेता हूँ । #

* [लिखो , लिखते क्यों नहीं ?]
लिखो कि तुम्हारी तबियत ख़राब है ,
चल फिर नहीं सकते , जुलूस में शैमिल
लेकिन लिख तो सकते हो
कितना अपराध तुमने किया
किसको कितना घूस दिया
अपना आय - व्यय , सब लिख डालो
कितना झूठ बोला - सच सच लिखो
कविता -कहानी लिखो
जनता की न सही
अपनी ही उम्मीदें , अपनी निराशा व्यक्त करो
कौन रोकता है तुम्हे डायरी लिखने से
अपने प्रेमी के नाम पत्र जैसा लिखो ,
लिखो सब , वक्त पर काम आएगा । #

* [हाइकु ]
धन्य हैं लोग
प्रयास किये जाते
जो निष्फल ही ! #
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