शनिवार, 3 सितंबर 2011

मैं ही तो जानता हूँ

1. मैं ही तो जानता हूँ
ईश्वर को़
क्यो नहीं जानूँगा
जब मैंने ही उसे बनाया
कहिए तो पूरा हुलिया बता दूँ
भाई, मैं उसे आद्योपान्त जानता हूँ
शुरू से अन्त तक उसे मैंने बनाया
अंग-प्रत्यंग उसका जानता हूँ
वह मुझे धोका नहीं दे सकता
यदि मैं ही धोखे में न पड़ जाऊँ
वह मुझसे झूठ नहीं बोल सकता
क्योंकि - उसका सच मैं जानता हूँ
वह मुझसे फ़रेब नहीं कर सकता
क्योंकि उसके सारे फ़रेब तो
मेरे सिखाए हुए हैं
जो उसकी आड़ लेकर
उसे अज्ञात बताकर
हमें अज्ञान की ओर ढकेलते हैं
वे स्वयं छद्म, झूठे और फ़रेबी हैं
क्योंकि वे मनुष्य हैं
वे मनुष्य जिन्होंने ईश्वर नहीं बनाए
मेरे बने बनाए ईश्वर को
अपना ईश्वर बनाए रखे हैं
या मेरे ईश्वर की नक़ल में
उन्होंने सचमुच का कोई ईश्वर बना रखा हुआ है
उनसे मैं अलग हूँ

2. कह कर छोड़ दो
अपनी बात
वहाँ से चले आओ
उसे भूल जाओ।
दवा अपना
काम खुद करेगी
3. कामरेड!
तुम्हारी राजनीति तो
देख ली
अब बताओ-
तुम्हारा धर्म क्या है?
4. वे भी आदमी
क्या वे आदमी नहीं रहे
जो सीढ़ियाँ चढ़ कर
आगे बढ़ गए?
बहुत बड़े साहित्यकार-
ओहदेदार अफ़सर
नेता, मन्त्री बन गए
अभी तक तो हमारे साथ थे
हम जैसे
अब क्या वे बदल गये?
ऐसा क्यों सोचता हूँ मैं
मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए
वे अब भी बचे होंगे आदमी
निश्चय ही,
जैसे मैं बचाए हूँ अपनी आदमीयत
अपनी किसी भी-
कैसी भी स्थिति के बावजूद

नहीं. वे आदमी होंगे
हम भी आदमी ही हैं
5. मैं
नीर होकर
ज़मीन पर गिरा--
क्षीर हो गया
6. दुनियादारी में
तब भी कुछ तो कम हुशियार न थी
लेकिन तब यह मेरी दुनिया
इतनी दुनियादार न थी

रोटी के लाले थे सब के
पेट कहाँ थे भर पाते,
फिर भी रोटी के टुकड़ों पर
बिकने को तैयार न थी

7. हमारे पास
अपनी निष्ठा है
अपना सत्य
अपनी दृढ़ता है
मैं चल सकता हूँ
अपनी राह पर
पाँव साथ न दे
रीढ़ में ताकत न हो
यह और बात
पर दृष्टि तो है
जो झुकती नहीं है।


8. मैं तो कम्यूनिस्ट हूँ
यूँ कि मैं मानता हूँ
युद्ध चल रहा है
तुम बताओ
तुम किधर हो
तुम भी तो कम्यूनिस्ट थे
क्या अब नहीं रहे.
जो तलवे चाटते हो
एक फ़ौज के,
जिनका मजहब सिखाता है
केवल प्रेम और शान्ति का सन्देश
बेचारे तो विवशतावश
करते हैं जेहाद
जिनमें बेवजह मारे जाते हैं
कुछ बेगुनाह
इसमें उनका क्या दोष
दोष तो हमारा है
चो कृष्ण की ग़लत सलाह पर
युद्ध के लिए तैयार बैठे हैं.


9. कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं
एक प्यार के लिए
पापड़ तो फिर भी
ठोस खाद्य वस्तु है

10. मुझे मेरे प्रश्नों का
उत्तर नहीं चाहिए
मैं हर प्रश्न का हर उत्तर
जानता हूँ
तुम्हें तुम्हारा उत्तर
तलाशने के लिए
अपना प्रश्न
तुमसे सुनाता हूँ । (कविता)
11. पहाड़ सी नदी
कहाँ पहाड़ सा जीवन
कहाँ नदी सी ज़िन्दगी
मज़ा तो यह कि नदी
हर पहाड़ से निकली और
समुद्र में समा गयी ।
तो समन्दर क्या है ?
एक पहाड़ सी नदी ।

१२ जनता हमेशा
मिसलेड होती रही है ,
जनता ,
इस बार भी
मिसलेड होने से
इन्कार नहीं कर रही है
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जन भीड़ का क्या
वही तो ६ दिसंबर को
अयोध्या में भी
जुटी थी !
--
क्या यह वही है ?
वह नहीं है
तो क्या है ?
है तो भी मिसलेड,
नहीं है , तो भी मिसलेड।
Mis-leaders are
mis-leading the county।
चाहें प्रजातंत्र के रास्ते
चाहें भूख हड़ताल के रास्ते ##


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