गुरुवार, 22 सितंबर 2011

हिन्दू / विचार शिला

* हिन्दू
जो हिंसा की बात करता हो , वह हिन्दू कैसे ही सकता है ?
जो प्रतिहिंसा , घृणा , निर्दयता की वकालत करे ,
जो अहंकारी , दर्प - पीड़ित हो ,
जो इस दुनिया के सुख के लिए
धन बटोरता , ऐयाशी करता ,
दलितों - दीनों के साथ दुर्व्यवहार करता,
स्त्री को पीड़ा देता , बच्चों पर जुल्म ढाता ,
वह हिन्दू कैसे ही सकता है ?
जिसकी राजनीति से जनता ,
जनता का कोई वर्ग सशंकित हो , वह
हिन्दू राजनीति कैसे हो सकती है ?
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* [विचार शिला ]
Party politics का अर्थ है -किसी का स्पष्ट पक्ष लेना और फिर उस पक्ष में हो जानाधर्म की राजनीति से समझेंसभी धर्म भले हैं , या सभी धर्म बुरे हैं , यह सभी की साधारण समझ है / होती हैपर उन धर्मों की अच्छाई - बुराई के स्तर को अपनी समझ से तय करके किसी एक धर्म की श्रेष्ठता को स्वीकार कर , उसके पक्ष में हो जाना राजनीति हैऔर जब एक बार पक्ष में हो गए तो उसकी बुराई भी बुरी नहीं लगतीइसीलिये हिन्दू की विविधता को महान गुण मान कर लोग इसके पक्ष में हो जाते हैंफिर इसके अन्दर व्याप्त बुराई उनसे ओझल हो जाती हैइस्लाम आदि अन्य धर्मों के अनुयायियों के साथ भी ऐसा ही होता होगामुझे यो लगता है कि राजनीति को समझना ही अब का बहुत बड़ा धर्म हैऔर धर्म का कर्तव्य हो गया है धर्मों की राजनीति समझना । ##

* मैं गलत लिखता हूँ , यह तो नहीं सोचता पर सब सही ही लिखता हूँगा यह भी मैं नहीं सोचता ! फिर भी लिखता हूँपता नहीं कब कोई सुधी इनमे से कोई बहुत सही बात निकाल ले जाए , और युग प्रवर्तक बन जाए ! अन्ना ने विवेकानंद की एक छोटी सी किताब ही तो पढ़ी थी ? ###
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