गुरुवार, 29 सितंबर 2011

बुद्धिवादी सलीब

* [कविता ]
जब तुम खुद अपनी मूर्खताएँ
जीना बंद कर दोगे
तब हम तुम्हारी मूर्खताएं जियेगे ।
जब हिन्दू मूर्तिपूजा बंद कर देगा
आर्य समाजी यज्ञ करना बंद कर देंगे
बौद्ध बुद्ध को , जैन अपने तीर्थंकरों की
बात नहीं मानेंगे ,
ईसाई यीशु को परमात्मा क पुत्र और
मुस्लिम मोहम्मद को सन्देश वाहक
मानना बंद कर देंगे ,
तब मैं यह सब , इन सबको
मानना शुरू कर दूंगा ,
मैं इनमे से किसी को समाप्त
होने नहीं दूंगा , अपने धरोहर को ज़िदा ,
सुरक्षित रखने क ज़िम्मा मै उठाउँगा,
तुम्हारा सलीब मैं ढोऊंगा ।
तुम चलो अपने रास्ते
तुम बुद्धिवादी बनने में भय न खाओ ,
संकोच न करो , कहीं कुछ भी
बिगड़ने न पायेगा , निश्चिन्त - बेफिक्र रहो । #

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